Thursday, April 23, 2015

                                                           अभागे का भाग्य 
भाग्य तो देखिये अभागे का मरा भी तो लुटियंस की दिल्ली में वो भी शहंशाह की दरबार में और तो और चौथे स्तम्भ की नजरो के सामने.
खुद को अन्नदाता कहता था अभागा अब खुद के बच्चो को अन्नं कौन देगा?
वैसे इतना भी भाग्य बुरा नही था अभागे का उसकी जिंदगी से भले ही ऊपर वाले ने भी नजरे फेर ली हो लेकिन उसके मौत के चर्चे आज पुरे देश में ही नही वरन पूरी दुनिया में हैं।
दाता तो था वो मरते-मरते भी कुछ न कुछ सबको दे गया, किसी की मरी हुई राजनीती में जान फूक गया तो किसी को TRP का सौगात दे गया, तो कही किसी के लिए शाम की चर्चा का विषय बन गया ।
वैसे एक गुजारिश हैं तुमसे अब जब भी मरना दिल्ली आ के ही मरना,बीवी-बच्चो को साथ लाते तो इस मुल्क को कुछ और मसाला मिल जाता ।
वैसे आत्महत्या की जगह किसी की (समझ रहे हो न किस की ) हत्या कर देते तो चर्चा ज्यादा होता और आज विद्वानगण फॉर्मर साइकोलॉजी पे चर्चा कर रहे होते ।
‪#‎सरकार_जिन्दाबाद‬