Sunday, July 26, 2015

एक बार तो मोदी और नितीश का तुकबंदी देखकर लगा मानों दोनों आज भी गठबंधन में हो या फिर पुनर्विवाह माफ़ कीजये पुनर्गटबंधन होने जा रहा हैं । लेकिन जैसे-जैसे राजनीती अपना रंग दिखाने लगी सब साफ़ हो गया की अभीतक औपचारिकता का दौड़ चल रहा था, इरादा तो कत्ल मीठी छुड़ी से करने का था । पटना में प्रधान मंत्री किसी ऑडिटर से कम नहीं नजर आ रहे थे डाटा कुछ इस तरह पेश किया गया मनो CAG के सामने लेखा जोखा रखा जा रहा हैं। बीच बीच में नितीश को चाशनी में भी डुबोया गया और लालू को तो ये अहसाश करा ही दिया गया की he is out of contest. यहाँ तक तो फिर भी सब ठीक था लेकिन मुजफ्फरपुर जाते ही मनो प्रधान मंत्री में जन्मजात जाती वाद घर कर गया और वो लालू-नितीश जैसे खिलाड़ी को ये सबक दे गए की वो इस खेल के भी पुराने खिलाड़ी हैं। वादों का बम कुछ ऐसे फूटा मनो विकाश और बिहार पर्यावाची होने वाले हो वैसे इसमें कुछ गलत भी नहीं हैं। इंडोर्समेंट तो दोनों तरफ से होगा और वो भी जातिगत पैकजिंग के साथ। बस नया ये हुआ की सेलसमैंन कुछ ज्यादा ही ब्रांडेड निकले।
जो भी हो बिहार में कुछ होता जरूर नज़र आ रहा हैं।
जय बिहार

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